Mechanical keyboard क्या होता है , इसका चुनाव किस प्रकार करे ?
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दोस्तों कीबोर्ड से तो आप सब परिचित ही होंगे। कीबोर्ड के बिना कम्प्यूटर पर कोई भी काम कर पाना नामुमकिन ही है। सबसे पहले कीबोर्ड का अविष्कार अमेरिकी अविष्कारक क्रिस्टोफर लैथम शॉल्स Christopher Latham Sholes (14 फरवरी 1819 – 17 फरवरी 1890) ने QWERTY कीबोर्ड का अविष्कार किया था।
आज के समय में वैसे तो कीबोर्ड के काफी प्रकार आ गए है पर मुख्यता दो प्रकार के कीबोर्ड होते है :- 1. Membrane keyboard 2 . Mechanical keyboard
Membrane keyboard
मेम्ब्रेन-आधारित कीबोर्ड आज सबसे आम कंप्यूटर कीबोर्ड हैं। उनके पास एक-टुकड़ा प्लास्टिक कीटॉप/स्विच प्लंजर हैं जो एक इलेक्ट्रिक स्विच मैट्रिक्स में संपर्क को सक्रिय करने के लिए एक इलेक्ट्रिक बोर्ड पर दबाते हैं।
Mechanical keyboard
मेकैनिकल कीबोर्ड मेम्ब्रेन कीबोर्ड की तुलना में पूर्णतया अलग होता है। मेकेनिकल कीबोर्ड में हर एक की एक अलग स्विच की तरह काम करता है ये कीबोर्ड मे की स्विच और स्प्रिंग से मिलकर बना होता है जो टाइपिंग के समय एक बेहतरीन टाइपिंग अनुभव देता है इस कीबोर्ड में हम पूर्णतया अपनी पसंद से बदलाव कर सकते है।
आज के समय में Mechanical keyboard काफी पॉप्युलर हो रहे है आज हम इस कीबोर्ड के बारे में पूरी जानकारी लेंगे की एक अच्छे Mechanical keyboard का चुनाव कैसे करे।
Mechanical keyboard किस प्रकार काम करता है?
मेकैनिकल कीबोर्ड दिखने में तो दूसरे कीबोर्ड की तुलना में पूर्णतया एक सामान ही होता है किन्तु इसकी कार्य प्रणाली दूसरे कीबोर्ड की तुलना में पूर्णतया अलग होती है। मेकैनिकल कीबोर्ड में हर एक की अपने आप में एक अलग स्विच होता है।यह एक ऐसा keyboard होता है जिसमें की बोर्ड में स्विच होती हैं जो की खुद actuate हो जाती हैं उनके point of bottoming out होने से पहले।
इन switches में एक stiff rubber dome होता है और एक spring . जब हम की को दबाते है तो stiff rubber dome कीबोर्ड के बैकपैनल में घुस कर मेटल कांटेक्ट को कार्य करने को प्रेरित करती है ऐसी वजह से हम अलग अलग शब्द लिख पते है।
दोस्तों अगर आपका टाइप करने का बहोत काम रहता है तो आपको निश्चितया मेकैनिकल कीबोर्ड की तरफ जाना चाहिए इस कीबोर्ड में आपको एक बेहतरीन टाइपिंग अनुभव मिलेगा। इस कीबोर्ड में आप बड़ी ही आसानी से फ़ास्ट और एक्यूरेट टाइपिंग कर पाएंगे इसमें आपको की में आपसी एरर आने की छींटा नहीं करनी पड़ेगी। और साथ में मेकेनिकल कीबोर्ड लॉन्ग लाइफ वाले भी होते है इनके बार बार खराब होने का भय भी आपको नहीं रहता है। मेकैनिकल कीबोर्ड के लॉन्ग लाइफ होने और errorless टाइपिंग अनुभव होने की वजह से ही राइटर और गेमर इस कीबोर्ड का ज्यादातर उपयोग करते है। मेकैनिकल कीबोर्ड की इन खूबियों की वजह से ये बात तो माननी पड़ेगी की ये कीबोर्ड लॉन्ग लास्टिंग होते होते है ये कई लाख बार की दबाने पर भी एक दम नए कीबोर्ड के भांति काम करते है। इस वजह से ही ये कई वर्षो तक चल पाते है।
Mechanical keyboard स्विच के प्रकार
मैकेनिकल कीबोर्ड के स्विच मुख्यतया तीन प्रकार के होते है:-
Linear switches
Tactile switches
Clicky switches
Linear switches
यह स्विच साधारण और एक दम सरल होता है। इस स्विच को दबाने पे कोई भी क्लिक की आवाज नहीं आती है और न ही कोई bump महसूस होता है जिससे की प्रतीत हो पाए की key को दबाया गया है। इस प्रकार की keys को हलके हाथ से दबाने पे भी आसानी से काम करती है।
Tactile switches
यह स्विच Linear switch से थोड़ा अलग होता है Tactile switch को दबाने पर कोई भी आवाज नहीं आती है किन्तु इन स्विच वाली की को दबाने पर एक bump महसूस होता है जिससे पता चल जाता है की key press हो गयी है।
Clicky switches
यह स्विच Linear switches और tactile switches दोनों से अलग होता है। Clicky switches को दबाने पे क्लिक होने की आवाज आती है और साथ ही साथ में एक bump भी महसूस होता है। Clicky switches को मुख्यतया पूरा दबाने की आवशयकता नहीं पड़ती है clicky आवाज आ जाने पे ही ये की रजिस्टर हो जाती है।
Linear switches
Tactile switches
Clicky switches
No bump
Tactile bump
Tactile bump
No clicky
No clicky
Audible clicky
Mechanical keys के प्रकार और उनकी विशिष्टताये
मैकेनिकल कीबोर्ड में मुख्यतया छ प्रकार की keys होती है।
MX Blue keys
MX Green keys
MX Red keys
MX Black keys
MX Brown keys
MX Clear keys
MX Blue keys
चेरी MX ब्लू की ज्यादातर बजट कीबोर्ड में देखने को मिलती है। इन keys में clicky sound होता है जो आसानी से सुनाई देता है और इन keys को दबाने पर ये लाइट फील होती है मतलब इन्हे हलके हाथ से दबाने पर भी ये रजिस्टर हो जाती है। MX Blue keys 50gm के दबाव पर रजिस्टर हो जाती है और 60gm दबाव पर ये बॉटम आउट हो जाती है।यह की clicky स्विच पर काम करती है।
MX Green keys
चेरी MX Green keys वैसे तो MX Blue keys की तरह ही होती है परन्तु इन्हे रजिस्टर होने के लिए थोड़े ज्यादा दबाव की आवशयकता होती है ये keys MX Blue keys के भांति ही clicky आवाज करती है। MX Green keys 80gm के दबाव पर रजिस्टर होजाती है और इनका बॉटम आउट पॉइंट 90gm होता है। यह की clicky स्विच पर काम करती है।
MX Red keys
चेरी MX Red keys को दबाने पर आवाज बिलकुल कम सुनाई पड़ती है या यु कहे की इनके दबाने पर आवाज न के बराबर आती है। इन keys को पूरा निचे तक दबाने की जरुरत नहीं पड़ती है। MX Red keys 45gm के दबाव पर रजिस्टर हो जाती है और इनका बॉटम आउट पॉइंट 60gm होता है। MX Red keys linear स्विच पर काम करती है।
MX Black keys
चेरी MX Black keys ये keys MX Red keys के सामान ही होती है बस इन keys को थोड़ा जोर से दबाने को जरुरत पड़ती है। ये keys को दबाने पर MX Red keys के भांति ही एक दम से न सुनाई देने वाली आवाज आती है। MX Black keys 60gm के दबाव पर रजिस्टर हो जाती है और इन keys का बॉटम आउट पॉइंट 80gm होता है। MX Black keys linear स्विच पर आधारित होती है।
MX Brown keys
चेरी MX Brown keys को साइलेंट keys भी खा जाता है। क्योंकि इन keys को दबाने पर कोई आवाज नहीं आती है। MX Brown keys को दबाने पर एक bump महसूस होता है जिससे पता चल जाता है की keys रजिस्टर हो गयी है। MX Brown keysको पूरा निचे तक दबाने की जरुरत नहीं पड़ती है। MX Brown keys को दबाने के लिए 45gm दबाव की आवशयकता होती है अथार्त ये 45gm दबाव पर रजिस्टर हो जाती है। इन keys का बॉटम आउट पॉइंट 60gm होता है। MX Brown keys tactile स्विच पर आधारित होती है।
MX Clear keys
चेरी MX Clear keys MX Brown keys के सामान ही होती है बस इन्हे रजिस्टर होने के लिए ज्यादा दबाव की आवशयकता होती है।MX Clear keys 65gm के दबाव पर रजिस्टर हो जाती है इन्हे दबाने पर कोई आवाज नहीं आती है बस एक bump महसूस होता है जिससे पता चल जाता है की keys रजिस्टर हो गयी है MX Clear keysका बॉटम आउट पॉइंट 95gm होता है। MX Clear keys tactile स्विच पर आधारित होती है।
Clicky switches:- MX Blue keys and MX Green keys
Tactile switches:- MX Brown keys and MX Clear keys
Linear switches:- MX Black keys and MX Red keys
Mechanical keyboard के sizes और उनका चुनाव कैसे करे।
कीबोर्ड के बहोत उपयोग की वजह से कीबोर्ड का कम्फर्टेबले होना बहोत जरूरी है। इस वजह से ही कीबोर्ड अलग अलग sizes में उयलब्ध है। मेकैनिकल कीबोर्ड आज के समय में चार साइज में उपलब्ध है :-
फुल साइज कीबोर्ड
tenkeyless कीबोर्ड (TKL)/80% कीबोर्ड
60% कीबोर्ड
सुपर small कीबोर्ड / 40% कीबोर्ड
फुल साइज कीबोर्ड
फुल साइज कीबोर्ड में वो all keys होती है जिनकी आपको एक कीबोर्ड में जरुरत पड़ती है। बहोत से लोगो को नंबर्स की ज्यादा जरुरत नहीं पड़ती है इस कीबोर्ड में अलग से एक numberpad दिया रहता है जो इसकी साइज को ज्यादा बढ़ा देता है। इसकी बड़ी साइज की वजह से ही ये उतना सहज महसूस नहीं हो पता है। इसकी बड़ी साइज ही इसका नेगेटिव पॉइंट है।
tenkeyless कीबोर्ड (TKL)/80% कीबोर्ड
इस कीबोर्ड में अलग से numberpad नहीं होता है इस वजह से इसका साइज छोटा हो जाता है। जिन लोगो को नंबर्स की ज्यादा जरुरत नहीं होती है उनके लिए ये कीबोर्ड बेहतरीन साबित हो सकता है। इस कीबोर्ड में नंबर्स के लिए एक नंबर row होती है पर उससे इसके साइज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
60% कीबोर्ड
पिछले कुछ सालो में इस प्रकार के कीबोर्ड काफी पॉपुलर हो रहे है इसका मुख्य कारन इनकी कॉम्पैक्ट साइज का होना ही है। इन कीबोर्ड में केवल alphabatic keys, number row keys, और modifiers ही होते हैं और इन कीबोर्ड में कोई भी अलग से arrow keys, F-row, और number pad नहीं होते हैं। इस वजह से 60% कीबोर्ड का साइज काफी काम हो जाता है शायद इस वजह से ही इस प्रकार के कीबोर्ड का नाम 60% कीबोर्ड पड़ा है।
सुपर small कीबोर्ड / 40% कीबोर्ड
ये कीबोर्ड काफी पॉकेट फ्रेंडली होते है इन्हे कहि भी लाना ले जाना काफी आसान होता है। इस boards में केवल alphabatics keys और कुछ modifiers ही होते हैं। इन कीबोर्ड में कम से कम दो फंक्शन keys तो होते ही है जिनसे लगभग सारे कीबोर्ड कमांड हो जाते है। इन कीबोर्ड को मिनिमलिस्टिक कीबोर्ड भी कहा जा सकता है।
मेकैनिकल कीबोर्ड के advantage
मेकैनिकल कीबोर्ड के बहोत से advantege होते है पर यहाँ मुख्य advantage मे आपको बताता हु:-
Long life का होना
मैकेनिकल कीबोर्ड को लम्बी अवधि तक के उपयोग के अनुसार ही बनाया जाता है मेकैनिकल कीबोर्ड में की स्विच की life 50 million key presses से लेकर 70 million key presses तक होती है। वही दूसरे कीबोर्ड की लाइफ इसके compaire में काफी काम होती है।
keys की विस्वसनीयता
मेकैनिकल कीबोर्ड का लॉन्ग लाइफ होने के साथ साथ ये खराब भी बहोत कम होते है। मेकैनिकल keys कई साल के इस्तेमाल के बाद भी उतनी ही निपुणता के साथ काम करती रहती है।
स्थिरता
मेकैनिकल कीबोर्ड वजन में भारी होने के कारन स्थिर भी होते है मतलब टाइप करते समय इधर उधर हिलते नहीं है।
बेहतरीन टाइपिंग अनुभव
मैकेनिकल कीबोर्ड में बेहतरीन टाइपिंग अनुभव प्राप्त होता है इसका कारन इसकी keys और इसकी बनावट ही है। इसकी keys को हम अपनी टाइपिंग जरुरत के हिसाब से customise कर पते है।
मेकैनिकल कीबोर्ड के disadvantage
मेकैनिकल कीबोर्ड जहा खूबियों से भरा पड़ा है वहा इस कीबोर्ड में कुछ खामिया भी है
प्राइस का ज्यादा होना
मेकैनिकल कीबोर्ड की मुख्य खामी में से एक इसकी कीमत का ज्यादा होना ही है। ज्यादा कीमत होने की वजह से ज्यादातर लोग मेकैनिकल कीबोर्ड को खरीदते ही नहीं है और उपयोग में न लेने के कारन इसकी खूबियों से वंचित रह जाते है।
आवाज
मेकैनिकल कीबोर्ड में आवाज एक मुख्य समस्या है पर इसे हम इसकी कमी बोल भी सकते है और नहीं भी। यह पूरणतय यूजर पर ही निर्भर करता है। देखा गया है की काफी यूजर को यह आवाज काफी अच्छी भी लगती है। किन्तु ये दूसरे कीबोर्ड की तुलना में ज्यादा लाउड तो होते है इसमें कोई विरोधाभास नहीं है।
वजनदार होना
मेकैनिकल कीबोर्ड वजनदार होने की वजह से स्थिर होता है जिस वजह से बेहतरीन टाइपिंग अनुभव मिलता है किन्तु ज्यादा वजन होने की वजह से इसके रख रखाव के साथ साथ लाने लेजाने में भी समस्या का सामना करना पड़ता है।
दोस्तों में उम्मीद करता हु आपको इस आर्टिकल से जरूर कुछ सिखने को मिला होगा।आपको यह आर्टिकल कैसे लगा कमैंट्स में जरूर बताइये। हम आपके लिए और भी जानकारिया ऐसे ही लाते रहेंगे। अगर आपके कोई सुझाव हो तो वो भी जरूर बताइये। सहयोग के लिये हमारे सोशल मीडिया अकाउंट को जरूर लाइक , सब्सक्राइब करे।
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